Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -13-Dec-2022- उम्मीद का दीया

जब जीवन एक बोझ बन जाए,

जीने का कोई पर्याय समझ ना आए।

दूर तलक फैला अंधेरा हो,
ना दिखता कहीं सवेरा हो।

तू हार कर मत बैठ जा,
एक दीया मंदिर में, तो एक अपने दिल में जगा।

नाउम्मीद मत हो, ईश्वर ज़रूर आएगा,
पथरीले रास्तों पर तुझे अकेला छोड़, वो कहां जायेगा।

है तेरे लिए ही वो एक सुंदर संसार रचा रहा,
तू रह पाए उसमें, इसीलिए तुझे उस काबिल बना रहा।

सब्र कर तू, यूं उतावली ना हो,
तेरी खातिर रसम, वो खुद दौड़ा आ रहा।।

                *****Samridhi Gupta 'रसम'*****



   19
3 Comments

Abhinav ji

14-Dec-2022 07:45 AM

Very nice👍👍

Reply

Zakirhusain Abbas Chougule

13-Dec-2022 03:38 PM

Nice

Reply

Vardan Jindal "सुगत"

13-Dec-2022 01:40 PM

Bahut badhiya

Reply